Jina Sutra Part 1
Added to library: September 2, 2025
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Summary
यह पुस्तक ओशो रजनीश द्वारा भगवान महावीर के 'समण-सुत्तं' पर दिए गए 62 प्रवचनों का प्रथम संकलन है। पुस्तक में कुल 31 प्रवचनों का संग्रह है, जो भगवान महावीर के विचारों और शिक्षाओं को ओशो की अनूठी शैली में प्रस्तुत करते हैं।
मुख्य विषय और शिक्षाएँ:
- महावीर का दर्शन: ओशो महावीर के दर्शन को गणित और विज्ञान जैसा बताते हैं, जिसमें काव्य की कोई जगह नहीं। उनके वचन सीधे और स्पष्ट हैं, जैसे 'दो और दो चार होते हैं'। धर्म की परिभाषा जीवन के स्वभाव के सूत्र को समझना है।
- महावीर का मार्ग: यह मार्ग शुद्धतम मार्गों में से एक है, जिसे भक्ति और प्रार्थना से दूर, केवल आत्म-अनुसंधान पर केंद्रित रहने पर जोर दिया गया है। बाहरी पूजा-पाठ के बजाय भीतर की यात्रा महत्वपूर्ण है।
- अहंकार का त्याग: महावीर का मार्ग अहम् को मिटाकर 'स्वयं' होने की यात्रा है। वे मनुष्य को बाहरी आडंबरों से मुक्त होकर भीतर की ओर मुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
- सत्य की परख: सत्य कोई वस्तु नहीं, बल्कि एक जीवंत अनुभूति है। महावीर का सत्य व्यवहार में है, सिद्धांतों में नहीं। वे बताते हैं कि सत्य को जीना ही सबसे बड़ी साधना है।
- अहिंसा और प्रेम: अहिंसा को महावीर द्वारा प्रेम के पर्याय के रूप में देखा गया है, न कि केवल निष्क्रियता के रूप में। उनके लिए, अहिंसा का अर्थ है भीतर के क्रोध, द्वेष, वासना को जीतना।
- संकल्प और समर्पण: ओशो बताते हैं कि महावीर का मार्ग संकल्प का है, जो अंततः समर्पण में परिणत होता है। यह व्यक्तिगत यात्रा है, जिसे हर किसी को स्वयं तय करना होता है।
- जागरूकता: जीवन के हर क्षण में जागरूक रहना, स्वयं को जानना, अपने भीतर के परमात्मा को पहचानना ही सच्चा धर्म है। महावीर इसी जागरण की ओर ले जाते हैं।
- सब कुछ उपयोगी है: ओशो बताते हैं कि जीवन में प्रत्येक वस्तु, चाहे वह सुख हो या दुख, अपने आप में महत्वपूर्ण है। दुख को देखकर भयभीत न हों, बल्कि उससे सीख लें और उसे पार करें।
- आत्म-अनुसंधान: अंतिम सत्य स्वयं के भीतर ही छिपा है। बाहरी आडंबरों, परंपराओं और पूजा-पाठ की बजाय भीतर की यात्रा ही मुक्ति का मार्ग है।
- निषेध का मार्ग: महावीर का मार्ग निषेध का है, यानी जो वस्तुएं तुम्हें बांधती हैं, उनसे विरत होना। लेकिन यह निषेध केवल ऊपरी स्तर का नहीं, बल्कि गहन स्तर का होना चाहिए।
- अहंकार का विनाश: महावीर का मुख्य लक्ष्य व्यक्ति के अहंकार को मिटाना है, ताकि वह अपनी वास्तविक सत्ता, आत्मा को जान सके।
प्रवचनों की संरचना:
पुस्तक में कुल 31 प्रवचन शामिल हैं, जिनके शीर्षक इस प्रकार हैं:
- जिन-शासन की आधारशिला : संकल्प
- प्यास ही प्रार्थना है
- बोध - गहन बोध - मुक्ति है
- धर्म : निजी और वैयक्तिक
- परम औषधि : साक्षी-भाव
- तुम मिटो तो मिलन हो
- जीवन एक सुअवसर है
- सम्यक ज्ञान मुक्ति है
- अनुकरण नहीं - आत्म-अनुसंधान
- जिंदगी नाम है रवानी का
- अध्यात्म प्रक्रिया है जागरण की
- संकल्प की अंतिम निष्पत्ति: समर्पण
- वासना ढपोरशंख है
- प्रेम से मुझे प्रेम है
- मनुष्यो, सतत जाग्रत रहो
- उठो, जागो - सुबह करीब है
यह पुस्तक उन लोगों के लिए एक गहन आध्यात्मिक मार्गदर्शिका है जो जीवन के रहस्यों को समझना चाहते हैं और महावीर के प्रामाणिक संदेश को ओशो की अनूठी दृष्टि से जानना चाहते हैं।